आज कल कला का बोलबाला जरूर है पर उसका सत्यानाश करने वालों की कमी नहीं है येसा ही हो रहा है तमाम कला संस्थानों में जहाँ प्रतिभाएं बढ़ाने के उनके विनाश में लोग लगे हुए है, समय के साथ विकास की प्रक्रिया चलती रहती है "मेरठ विश्वविद्यालय में कला के आचार्यों ने पाठ्यक्रम में 'नक़ल' से अकल देने का फार्मूला ढूढा है, जिस काम को करने से छात्र कला के अध्ययन करने की बजाय सारा समय नक़ल करने में लगाता है गुरूजी भी खुश और छात्र भी कोरा का कोरा .
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