शनिवार, 18 अक्तूबर 2008

an exhibition of selected paintings


You are invited on the opening of
an exhibition of selected paintings
by

Dr.Lal Ratnakar

at
Jehangir Art Gallery (Gallery-3)
161-B, Mahatma Gandhi Road, Mumbai
on
Wednesday, November 05th 2008 at 5 pm

Shri Kripa Shankar Singh
President,
MRCC (Mumbai Regional Congress Committee)

has kindly consented to inaugurate the exhibition

Shri Aabid Surti
Eminent Litterateur & Artist

will be the guest of honour.

RSVP:
09810566808,09868999781
R-24, Raj Kunj, Raj Nagar Ghaziabad -201002
www.ratnakarsart.com

Exhibition will remain on view, from 06th to 11th November 2008
11am to 07pm daily.

मंगलवार, 2 सितंबर 2008

श्री कपिल सिब्बल मा.मंत्री ,भारत सरकार हैदराबाद की चुगताई आर्ट गैलेरी में चित्रकार डा.लाल रत्नाकर के चित्रों को निहारते हुए .



श्री कपिल सिब्बल मा.मंत्री , भारत सरकार, हैदराबाद की चुगताई आर्ट गैलेरी में चित्रकार डा.लाल रत्नाकर के चित्रों को निहारते हुए .





कला इन दिनों

कला इन दिनों पूरी दुनिया में उन्नत स्थिति में है , नई कला नए कलाकार नए कला संस्थान सब अपनी जगह कला के उत्थान में लगे है ,इसी के साथ कला दलालों का एक साम्राज्य है जो कला के लिए कालाबाजारी भी करता है इसी तरह कला की आधुनिक शिक्षा में अनेक माफिया सक्रिय है वह कलाकार है कला इतिहासकार कला समिछक है न जाने क्या क्या है ।
कला और कलाकार


धीरे धीरे खत्म होती लोककलायें
नौटंकी का बदला स्वरूप अभी बीबीसी पर यह रिपोर्ट पढी, पढकर काफी दुःख हुआ, कि भारतीय लोककला नौटंकी,अपना स्वरूप खो रही है और अश्लीलता की तरफ बहुत तेजी से बढ रही है. और तो और इसके वजूद पर ही अब सवालिया निशान है. ना जाने कितने अच्छे नौटंकी कलाकारो ने अपने बच्चों को इस काम मे डालने से मना कर दिया है.
मुझे याद है, पुराने जमाने मे गुलाब बाई की नौटंकी बहुत मशहूर थी, ना जाने कितनी गाथाये हमने नौटंकी के जरिये देखी….पृथ्वीराज चौहान,आल्हा उदल,रामायण,हातिमताई के किस्से, सामाजिक कुरीतियो पर कटाक्ष करती नौटंकिया….क्या क्या नही था.
बहुत समय पहले मुझे याद है गुलाब बाई ने एक इन्टव्यू मे आगाह किया था कि नौटंकी की कला, आने वाले समय मे जीवित नही रह पायेगी, आज वही हो रहा है.
लेकिन कभी कभी मै सोचता हूँ कि
क्या इन सबके जिम्मेदार हम लोग नही है?क्या हम लोगो ने नौटंकी से मुंह नही मोड़ लिया है?क्या हम अब फटाफट मनोरंजन नही चाहते है?अब हम नौटंकी को सिर्फ अश्लीलता के गाने सुनने का माध्यम मानते है?
इन सब सवालों के जवाब हम मे से किसी के पास भी नही है, क्योंकि हम तो बस फिल्मो,टीवी और इन्टरनेट मे ही मनोरंजन तलाशते है.